रेडियोलाजी रेडियोएक्टिव किरणों व रेडियोएक्टिव आइसोटाप्स के माध्यम से विभिन्न प्रकार की शारीरिक बीमारियों की जांच की जाती है. इस का क्षेत्र आज इतना अधिक व्यापक और विस्तृत हो चुका है की इस में रोजगार की संभावनाएं बढती ही जा रही है. एक्स रे, अल्ट्रासाउंड,
रेडियोथेरेपी, स्कैनिंग इत्यादि विभिन्न चिकित्सकीय क्रियाएं रेडियोलाजी के माध्यम से ही की जाती हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांती कि आशा और उज्ज्वल भविष्य की काफी संभावनाएं होने के कारण ही देश के कुछ प्रमुख अस्पतालों व संस्थानो मे इस कोर्स को प्रारंभ किया गया है.
ऐसे ही अस्पतालों में एक है, लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (नई दिल्ली-2). यह अस्पताल रेडियोलाजिकल असिस्टेंड कोर्स में प्रवेश हेतु प्रतिवर्ष जून माह मे आवेदनपत्र आमंत्रित करता है. इस कोर्स की अवधि 2 वर्ष है.
रेडियोलाजिकल असिस्टेंट कोर्स मे प्रवेश पाने के लिए यह अनिवार्य है कि उम्मीदवार विज्ञान के विषयों (भौतिक, रसायनविज्ञान व जीवविज्ञान) में 10+2 बोर्ड की 12 वी कक्षा उत्तीर्ण कर चुका हो यह भी आवश्यक है की उम्मीदवार बगैर अनुग्रहांक (ग्रेस मार्क) के उपर्युक्त विषयों में उत्तीर्ण हो तथा पी.सी.बी. (फिजिक्स, केमिस्ट्री,
बायोलाजी) में उस के 50 प्रतिशत से कम अंक न हो.
इन के अतिरिक्त इस अस्पताल के कोर्स करने के लिए यह भी आवश्यक है की उम्मीदवार संघशासित क्षेत्र दिल्ली का अधिशासी होना चाहिए,
उस ने सीनियर सेकंडरी परीक्षा भी दिल्ली से उत्तीर्ण की हो. यही नहीं, उम्मीदवार की उम्र 17-22 वर्ष के मध्य होनी चाहिए. अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आयुसिमा मे 5 प्रतिशत की छूट होती है.
चयनित उम्मीदवरों को एक निर्धारित राशि, वृत्तिका के रुप में प्रतिमाह मिलती है. अधिक जानकारी के लिए चिकित्सा अधीक्षक, लोकनायक अस्पताल,
नई दिल्ली के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है.
प्रवेश हेतु सूचनांए समयसमय पर विभिन्न समाचारपत्रों में प्रकाशित होती रहती है. इस कोर्स की सफलतापूर्वक समाप्ति के पश्चात किसी भी रेडियोलाजिकल सेंटर,
प्राइवेट नर्सिंग होम व एक्स रे,
अल्ट्रासाउंड, रेडियोथेरेपी, स्कैनिंग इत्यादि से संबंधित क्लीनिकों व संस्थानों में रेडियोलालिकल असिस्टेंट के रुप में कैरियर प्रारंभ किया जा सकता है.
नक्षत्र विज्ञान :-
टिमटिमाते तारों को ही अगर कैरियर बनाया जाए तो रात में चमकते तारों को निहारना ही जीवन भर का साथी बन जाएगा.
ग्रहों, नक्षत्रों तथा तारों का अध्ययन ही नक्षत्र विज्ञान की विषयवस्तु है. देश के शीर्षस्थ तारामंडल संस्थानों में से एक, कोलकता स्थित एम.पी. बिरला तारामंडल संस्थान भारत का पहला ओर एकमात्र ऐसा संस्थान है जो विश्व में अपनी तरह का अनूठा पाठ्यक्रम विज्ञान में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम ’ संचालित करता है. संस्थान में नामांकन प्रक्रिया शैक्षणिक सत्र के जनवरी माह से ही शुरु हो जाती है. नामांकन हेतु अभ्यर्थियों को प्रवेश परीक्षा से गुजरना होता है. काउंसिलिंग बाद एडमीशन प्राय: हो ही जाता है.
संस्थान वर्तमान में.2 पाठ्यक्रम संचलित करता है पहला पी.जी.इन एस्ट्रोनामी तथा दूसरा एम.फिल. प्रोग्राम इन एस्ट्रोनामी.
पी.जी.एन एस्ट्रोनामी 2 तरह में संचलित है नियमित तथा सांध्याकालीन. ये पाठ्यक्रम 3 माह की अवधि के है. वैसे पाठ्यक्रम की समस्त औपचारिकताएं पूरी होतेहोते लगभग एक साल लग ही जाता है. पाठ्यक्रम शुल्क के रुप में यह संस्थान निर्धारित फीस ही वसूलता है.
सांध्यकालीन पाठ्यक्रम में केवल 100 तथा नियमित पाठ्यक्रम में केवल 20 छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. इन पाठ्यक्रमों में प्रेवश हेतु न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी से स्नातक या भौतिक, रसायन, सांख्यिकी,
गणित, जियोलाजी में से किसी भी विषय मेंप्रथम श्रेणी से स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उत्तीर्णता निर्धारित की गई है.
इन पाठ्यक्रमों में छात्रों को नक्षत्र विज्ञान के समस्त तकनीकी तथा व्यावहारिक पहलुओं की शिक्षा दी जाती है. अभ्यर्थियों को पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए परियोजना कार्य पूरा करना होता है. यह कार्य नक्षत्र विज्ञान के किसी विषय से संबंधित होना चाहिए. परियोजना कार्य का उद्देश्य अभ्यर्थी की मानसिक क्षमता की जांच करना है. कार्य की जांच विशेषज्ञों की एक समिती करती है. इस तरह परियोजना कार्य पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण घटक है.
राजस्थान राज्य के पिलानी शहर में स्थित बिरला इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलाजी तथा एम.पी. बिरला तारामंडल,
कोलकता केबीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग पर हस्ताक्षर के पश्चात नक्षत्र विज्ञान विषय के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम एम.फिल प्रोग्राम इन एस्ट्रोनामी की बेहतरीन शुरुआत हुई है. यह पाठ्यक्रम 3 सेमेस्टर का है. इस पाठ्यक्रम में नामांकन के समय 10 हजार रुपए देने पडते है. इस के अलावा प्रति सेमेस्टर पठनपाठन शुल्क 10 हजार रुपए देना पडता है.
एम.पी.बिरला तारामंडल, कोलकता इन पाठ्यक्रमों का संचालन नक्षत्र विज्ञान से संबंधित विशेषाज्ञों की सहायता से कर रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय,
कोलकता विश्वविद्यालय,
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस (बेंगलूर) जैसे देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिक संस्थानों के वरिष्ठ प्रोफेसर,
फैकल्टी के सदस्य है. ऐसै में नक्षत्र विज्ञान के इस पाठ्यक्रम का अत्यधिक प्रतिष्ठिता होना स्वाभाविक है.
पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा करने पर देश ही नही बल्कि विदेशों में भी रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध है.
संस्थान से पत्राचार का पता है.
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प्रोग्राम इंचार्ज-एस्ट्रोनामी प्रोग्राम्स, एम.पी.बिरला प्लैनिटेरियम, 96 जवाहरलाल नेहरु मार्ग, कोलकता -70071 (पश्चिम बंगाल)