Posted by NOKARI MAHITI on Friday, 20 April 2018
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CARRIER,
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SCIENCE
|| जिनेटीक्स इंजिनियरिंग ||
तेजी
से बढती जनसंख्या के खाद्यान्न कि समस्या भी दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है. ऐसें
में जरुरत महसूस होती है उन उत्पादक तत्वो कि जो ज्यादा उत्पादन कर सके.बात
चाहे खाद्यान पैदा करने कि हो या फिर दुध देने वाले पशुऔ कि, मानव द्वारा हमेशा यही कोशिश कि
जाती रही है कि अधिक उन्नत किस्म के बीज और पशु तैयार किय जाय.
किसी
भी तत्त्व के
विकास में उनके जीस महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है इन्ही जीस के अध्ययन को जिनेटीक्स
इंजिनियरिंग कहा जाता है जिस के आधार पर ही प्राणीयों में
विभिन्न्ताए उत्पन्न होती है,क्यौंकी प्रत्येक जीव के जिस भिन्न गुण लिय जाते है.
जिनेटीक्स
इंजिनियरिंग के चलते ही रोग प्रतिरोधी फसले तथा सुखें में भी पैदा हो सकने वाली फसलो
का उत्पादन किया जा राहा है.इस क्षेत्र में हुई प्रगतीशिलता के परिणामस्वरूप कुछ
वर्ष पूर्व मैक्सिक्को विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विभाग ने १२५किग्रॅ वजन कि
मात्र २ फुट लंबी नई स्कीम कि गाय विकसित कि थी.जो कम चारा खा कर प्रतिदिन ३ से ४
लिटर दुध देती है.
जिनेटीक्स में जीवों के अछे गुणो को विकसित किया
जाता है.कई जीसो से मिल कर ही डी.एन.ए.का निर्माण होता है.जो प्रत्येक प्राणी में
पाया जाते है,और एक नस्ल से दुसरी नस्ल में पहूचते है,
जिनेटीक्स
के तहत जीस कि कार्यप्रणाली,उन कि रचना,विकास ,प्रकृती आदी का अध्ययन किया जाता है
ताकी उस के संयोजन से प्रणाली को ज्ञात किया जा सके जिनेटीक्स इंजिनियरिंग के तहत
ही जीवों व फसलों कि नई उत्पादक किस्मे विकसित कि जाती है लेकीन यह अत्यंत विस्तृत
व व्यापक क्षेत्र है,जिस कि कई शाखाए है;जैसे-बायोटेक्नॉलॉजी,युनेटीक्स,एनिमल
जिनेटीक्स,टिश्यु कल्चर,युफ़ेनिक्स,युजेनिक्स,आदी.इन
सभी विषयो को शिक्षा देश के विभिन्न विश्वविद्यालय में दि जाती है.
जिनेटीक्स क्योंकी विभिन्न क्षेत्रकृषी,मेडिकल,इंजीनियरिंग
से संबधित है इसलिए इस के शिक्षण संस्थान भी विशेषीकृत होते है जो रोजगार कि अनेक
संभावनाए उपलब्ध कराते है जहा एक और इस क्षेत्र में स्नातकोत्तर व डाक्तरेट कि
शिक्षा प्राप्त कर के रोजगार प्राप्त किया जा सकता है,वहा दुसरी और कई प्रतियोगी
परिक्षाओ के द्वारा शोध कार्यक्षेत्र में भी आगे बढा जा सकता है.
देश के निम्नलिखित संस्थोनो में जिनेटीक्स
विषय कि क्षिक्षा दि जाती है –
· जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,दिल्ली.
· आई.आई.टी.दिल्ली.
· इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इन्सीयुएट,दिल्ली
· इंडियन इन्सीयुएट ऑफ साइंस,बेंगलूर.
· इंडियन
इन्सीयुएट ऑफ पल्सेज रिसर्च,कानपूर.
· वाराणसी
· हेदराबाद
· शिमला
· कटक
· नैनिताल
· एन.आर.सी.सोयाबीन,इंदोर.
· एन.आर.सी.साइटरस,नागपूर.
· एन.आर.सी.सौरगम,हैदराबाद.