जैव रसायन :-
जहां मानव जीवन विज्ञान की उपयोगिता लगातार बढ रही है, वही इस ने अनेकानेक सह संकायों को भी जन्म दिया है. इन्हीं में से एक संकाय है जैव रसायन. यह विज्ञान का मिला रुप है.
जैव रसायन जानवरों,
पौधों, कीडों, विषाणूओं एवं माइकोआरगमिज्म की जीवन व्यवस्था के रासायनिक मिश्रणों का अध्ययन है. यह विज्ञान चयापचय वृध्दि तथा आनुवंशिकता जैसी जीवन प्रक्रिया में संलग्न रासायनिक बंधनों तथा कार्यप्रणाली में उन के जैविक अनुओं के यांत्रिक कार्यां का अध्ययन है, जो विज्ञान का आधार है. इन अणुओं में प्रोटीन,
न्यूक्लिक अम्ल तथा उन के यौगिक होते है.
जैव रसायन ने अणु स्तर पर जीवन के सिध्दातों की व्याख्या करने की अद्भुत क्षमता के कारण विज्ञान में अपना प्रमुख स्थान बना लिया है,
इस विज्ञान का उपयोग दवा, उपचार,
फार्मास्युटिकल, पशु चिकित्सा तथा डेयरी विज्ञान के लिए उपयोगी है.
अपने इन्हीं गुणों के कारण विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थानों द्वारा संचालित जैव रसायन पाठयक्रम काफी लोकप्रिय है. इन विश्वविद्यालयों में दिल्ली विश्वविद्यालय, पंजाव विश्वविद्यालय,
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय,
गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, कोलकता विश्वविद्यालय,
मद्रास (चेन्नई) विश्वविद्यालय, हरियाण कृषि विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान आदि प्रमुख है.
जैव रसायन में स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर के पाठयक्रम ऊपर वर्णित विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों में उपलब्ध है. इन के अलावा चिकित्सा महाविद्यालय भी इस विषय में एम डी स्तर के पाठ्यक्रम संचलित करते है. परंतु इस पाठ्यक्रम के लिए न्यूनतम योग्यता एम.बी.बी.एस. है इन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान प्रमुख है.
जैव रसायन में स्नातक (बी.एससी) स्तर के पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए न्यूनत्तम भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान या गणित विषयों के साथ 10 + 2 अथवा समकक्ष स्तर की परीक्षा में पास होना जरुरी है. दिल्ली विश्वविद्यालय मे प्रवेश 10 + 2 स्तर पर प्राप्त अंकों के प्रतिशत के आधार पर होता है. जबकि इसी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित एम.एससी पाठ्यक्रम में केवल जैव रसायन,
प्राणी विज्ञान तथा पाद्प विज्ञान के साथ स्नातक डिगरीधारकों को ही प्रवेश दिया जाता है. वह भी बी.एससी में प्राप्त अंको के प्रतिशत के आधार पर ही. अन्य सभी विश्वविद्यालय तथा संगठन नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन करते है.
दिल्ली विश्वविद्यालय रसायन में एम.एससी. योग्यता धारक के लिए चिकित्सा जैव रसायन (मेडिकल बायोकेमिस्ट्री) में एम.एससी. पाठ्यक्रम संचलित करता है.
जैव रसायन में एम.एससी. पाठ्यक्रम की अवधि 2 वर्ष है,
जबकि कुछ संस्थान जैसे राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान,
करनाल जैव रसायन में 3 वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करता है.
इस पाठ्यक्रम मे अध्ययन के तहत छात्रों को जैव रसायन, आणविक जीवविज्ञान,
कोशिका जीवविज्ञान तथा शोध तकनीक आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है. वहीं कुछ विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में अनिवार्य विषयों के अलावा फिजियोलाजी तथा माइक्रोबायोलाजी की भी पढाई होती है.
इस पाठ्यक्रम के छात्रों को 2 साल के अध्ययन के दौरान अपने संस्थान के संकाय सदस्यों के सहयोग से एक शोध रिपोर्ट तैयार कर के जमा करनी पडती है. जिन संस्थानों में इस पाठ्यक्रम की अवधि 3 वर्ष की है, वहां छात्रों का 1 वर्ष पूर्णरुप से शोध प्रशिक्षण के लिए सुरक्षित रखा जाता है.
जैव रसायन में स्नातकोत्तर स्तर का पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न करने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इंजीनियरिंग स्नातक योग्यता परीक्षा ली जाती है. यह योग्यता विश्वविद्यालय स्तर के कालेजों में प्रशिक्षण के लिए आवश्यक होतीहै इस के बाद आवेदक विश्वविद्यालयों में शिक्षक के रुप में अपनी सेवा दे सकता है.
जहां शोध संस्थानों में वैज्ञानिक के रुप में कार्य करने के लिए इस विद्या में एम.फिल. तथा पीएच.डी. स्तर की योग्यता की आवश्यकता होती है,
वहीं शोध सहायक के रुप में शोध उन्मुख संगठनों, जिन में औद्योगिक तथा सरकारी संस्थान शामिल हैं,
में कार्य करने के लिए न्यूयतम योग्यता जैव रसायन में स्नातकोत्तर है.
आज जैव रसायन विशेषज्ञों की बढती मांग का सब से बडा कारण है कि बायोकेमिकल जेनेटिक रिसर्च से संबंधित कार्य न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हैं. जैव रासायनिक विशेषज्ञों को सी.एस.आई.आर.आई.सी.आर तथा प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक स्तर की नौकरी मिलती है.
जैव रसायन पाठ्यक्रम के लिए आप निम्नलिखित विश्वविद्यालय के जैव रसायन संकाय के संपर्क कर सकते है.
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दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली.
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पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ.
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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र.
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गुरुनानक देव विश्वविद्यालय,
अमृतसर.
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कोलकता विश्वविद्यालय, कोलकता.
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मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई.
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,
अमृतसर.
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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय,
वाराणसी.
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली.